Fii And Dii: Dii ने 2025 में अब तक शेयरों में 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक का निवेश किया हैं।

Fii And Dii: बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में इस वर्ष अब तक 3 प्रतिशत के अधिक की गिरावट आई हैं, और BSE मिडकैप और BSE स्मॉलकैप इंडेक्स द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले व्यापक बाजारों में 20% से अधिक गिरावट आई हैं।

Fii And Dii : 2024, घरेलू संस्थागत निवेशक (DII), शुद्ध खरीद के मामले में रिकॉर्ड वर्ष रहा था,  चालू कैलेंडर वर्ष में अपनी आक्रामक खरीद जारी रख रहे हैं, जिससे Dii की खरीद पहले ही 1 लाख करोड़ रूपये के आंकड़े को पार कर चुकी हैं, जब की उनके विदेशी समकक्ष भारी मात्रा में भारतीय शेयर बेच रहे हैं। अगर NSE के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो, जनवरी से अब तक Dii ने Equity में 1.2 लाख करोड़ रूपये का निवेश किया हैं, और वहीं Fii ने लगभग उतनी ही राशि – 1.06 लाख करोड़ रूपये के भारतीय शेयर बेचे हैं। अगर पिछले साल की बात करे तो, Dii ने Equity में 5.22 लाख करोड़ रूपये से अधिक के शुद्ध खरीदार थे, जबकि Fii ने साल के अंत तक 427 करोड़ रूपये के शुद्ध बिकवाली की।

बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में इस वर्ष अब तक 3 प्रतिशत के अधिक की गिरावट आई हैं, और BSE मिडकैप और BSE स्मॉलकैप इंडेक्स द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले व्यापक बाजारों में 20% से अधिक गिरावट आई हैं।

ब्रोकरेज फर्म आगाह (Warned) किया

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया की भारत के Equity म्यूचुअल फंड में खुदरा फंडों का लगातार प्रभाव धीमा होने का जोखिम है। क्योंकि बाजार रिटर्न कमजोर हो रहा हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया की घरेलू Equity में घरेलू निवेश में संभावित गिरावट एशिया के चौथे सबसे बड़े Equity बाजार पर और दबाव डाल सकती हैं, सितंबर के आखिरी से ही आय में जारी मंदी और लगातार विदेशी फंड के बहिर्वाह के कारण गिरावट की ओर हैं।

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Fii And Dii: विशेषज्ञों की क्या हैं राय

विशेषज्ञों का मानना हैं कि आगे चलकर Dii खरीदारी की अपनी गति को धीमा कर सकती हैं, अगर बाजार में लंबे समय तक कमजोरी की स्थिति बनी रही। लेकिन वो पूरी तरह से निवेश बंद करने की संभावना नहीं रखते हैं। बाजार अपने दीर्घकालिक पीई औसत के करीब पहुंच चुकी हैं, जिससे मूल्यांकन अधिक आर्कषण हो रहा हैं। इसके अलावा हर महीन 25,000 करोड़ रूपये से ज्यादा की स्थिर SIP प्रवाह सुनिश्चित करता हैं, Dii के पास निरंतर तरलता पाइपलाइन है। विशेषज्ञों ने ये भी बताया की, स्थिर व्यापक आर्थिक स्थितियों और सीमित विकल्पों के कारण भारतीय Equity के लिए संस्थागत प्राथमिकता उच्च बनी हुई हैं, जबकि बैंकिंग, ऑटो और उपभोग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आय वृद्धि निरंतर आवंटन का समर्थन करती हैं।

बाजार पर अमेरिकी टैरिफ का पर सकता हैं असर

SKI Capital Services के, मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO निरंदर वाधवा का कहना हैं की, निकट भविष्य में Fii की बिकवाली, अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीति, भू–राजनीकित जोखिम और ट्रंप के हालिया टैरिफ जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण बाजार अस्थिर रह सकते हैं। उन्होंने ने कहा की RBI की दरों में कटौती, मजबूत घरेलू मांग और लंबी अवधि के आर्थिक विकास चालकों द्वारा संचालित माध्यम अवधि की रिकवरी संभावनाएं बरकरार हैं।

Disclaimer: इस लेख जो भी जानकारी दी गई हैं वो विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त किए गए विचार और निवेश सुझाव उनके हैं, न कि वेबसाइट ये उनके प्रबंधन के। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच लें और खुद का Analysis जरूर करें।

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