कितना आसानी से आप बिहारी को गरीब कहते है इतना आसान नहीं है बिहारी होना हर साल फिर से शुरुआत करना होता है हर चीज का |
बिहार –
आप सब जानते है की बिहार की स्तिथि कैसी है यहा पे गरीबी अपना कहर तो दिखाती ही है साथ मे हर साल कोशी नदी भी अपना कहर दिखाती है बिहार मे बाढ़ ला कर | कोसी और गंडक पर बने बैराजों से 1968 और 2003 के बाद से सबसे ज्यादा पानी छोड़े जाने के बाद बिहार मे बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है
बिहार आपदा प्रबंधन विभाग (DMD) ने 13 जिलों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है जबकि जल संसाधन विभाग के सभी अधिकारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी हैं और कोसी, गंडक और अन्य नदियों के किनारे बसे जिलों में स्तिथि पर नजर रखने के लिए अधिकारियों को तैनात किया है।
हाई अलर्ट पर है ये बिहार के 13 जिला
- पश्चिम चंपारण
- पूर्वी चंपारण
- सीतामढ़ी
- शिवहर
- मुजफ्फरपुर
- गोपालगंज
- सिवान
- सारण
- वैशाली
- पटना
- जहनाबाद
- मधुबनी
- भोजपुर
इन सभी जिलों मे हाई अलर्ट जारी किया गया है |
बिहार मे बाढ़ का कारण
Bihar सरकार के बाढ़ प्रबंधक सूचना प्राणली सेल के अनुसार, बिहार मे बाढ़ को 4 श्रेणियों मे बांटा गया है
- नेपाल मे होने वाली वर्षा के कारण आने वाली बाढ़ (1. Floods caused by rain in Nepal)
- नदी की बाढ़ (River Flood)
- नदी संगम पर जल निकासी अवरोधन (Water producing block at river confluence)
- स्थायी जल भराव क्षेत्र (Permanent waterlogged area)
बिहार मे बाढ़ आना कोई नई बात नहीं है | यहाँ हर साल बाढ़ अपना कहर दिखाती है
बिहार के 73.63% हिस्से मे हर साल बाढ़ आती है | बिहार के 38 जेलों मे से 28 जिला हर साल बाढ़ के चपेट मे आ जाते है इसमे भी 15 जिला ऐसा है जिस जो बाढ़ से सब से ज्यादा प्रभावित होते है | ये बाढ़ संपत्ति, जान, खेत और बुनियादी ढांचा (infrastructure) को काफी नुसान पहुंचाती है | 2008 मे जब कोसी नदी का बाढ़ आया था तो इस मे 350,000 एकड़ से भी अधिक धान 18,000 एकड़ मक्का और 240,000 एकड़ अन्य फसल बुरी तरह बर्बाद हो गई थी | 2008 की बाढ़ मे करीब 500,000 किसान प्रभावित हुए थे | बिहार मे हर साल बाढ़ से आर्थिक नुकसान बहुत ज्यादा होता है | हर साल किसनों को अपना फसल बर्बाद होते देखना पड़ता है | इसके परिणामस्वरूप बिहार के लोग राज्य छोड़ कर किसी और राज्य मे पलायन कर जाते है जो राज्य की आर्थिक चुनौतियों को और बढ़ा देता है | सरकार बाढ़ राहत और प्रबंधन पर सालाना 1000 करोड़ रुपये खर्च करती है जिसके बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता है |